रामा रामा रठते रटते…Rama Rama Rut-te Rut-te…
रामा रामा रटते रटते बीती रे उमरिया |रघुकुल नंदन कब आवोगे, भिलणी की डगरिया ।। ( तर्ज: नगरी नगरी द्वारे द्वारे. ..) मैं भिलनी सबरी की जाई, भजन भव नहीं जाकूँ रे ।राम तुम्हारे दरसन के हित, वन में जीवन काटूँ रे ।चरण कमल से निर्मल कर दो, दासी की झुंपड़िया ।।_______________ रोज सवेरे वन …