फागुन की रुत ऐसी आई है, खाटू में मस्ती छाई है,
आये है दीवाने तेरे द्वार, संवारे हमे दर्शन दो,
आये है दीवाने तेरे द्वार………
तर्ज़:- चूडी जो खनकी हाथ मे
हर गलियों में सांवरे, लग रहे जयकारे है,
भगती भाव में डूब के, नाच रहे है सारे है,
आके तू भी संग, नाच ले ,
अब करो न नखरे हजार, सांवरे हमे दर्शन दो,
आये है दीवाने तेरे द्वार………
किस्मत वालो को ही बाबा, अपने दर पे बुलाता है,
श्याम नाम के प्रेम से वो तो, श्याम प्रेमी बन जाता है,
हाथो में निशान,ओर श्याम नाम,
गूंजे है चारो और, सांवरे हमे दर्शन दो,
आये है दीवाने तेरे द्वार………
भूल न जाना सांवरियां,विनीत की अरदास है,
तेरे खाटू की बाबा, बात ही कुछ ख़ास है,
दर पे बुलाना, हर साल रे,
लाये है मन की पुकार, सांवरे हमे दर्शन दो,
आये है दीवाने तेरे द्वार…………
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