थारो मनचायो म्हें
भोग लगावा,
थाने छप्पन भोग
मैया जी म्हें जिमावा,
थे भोग लगाने
आवो जी, आवो जी
है एक से एक मिठाई
जांकी दुनिया करे है बडाई
तैयार करी या रसोई
बड़ो नामी है वो हलवाई,
दादी आकर के तो देख
थोड़ो खाकर के तो देख,
थे भोग लगाने…
है हल्दीराम का भुजिया
और चमचम बनायो तिवाड़ी
रेलीसिंह को है शरबत
चाखो थे बारी-बारी
आवो-आवो जी सरकार
थांसू बिनती बारम्बार
थे भोग लगाने…
कैसा लाग्या ये मेवा
ज़रा खाकर तो बतलावो
हर चीज़ है बढ़िया ताज़ा
जीमण ने हाथ बढावो
आखिर में कलकतीयाँ पान
मैया छप्पन भोग की जान
थे भोग लगाने…
थारो ही दियोड़ो मैया
थारे ही भोग लगावां,
थारे जीमया पाछे मैया
म्हें भी प्रसाद वो पावां,
गावे दास पवन गुणगान
राखो मैया म्हारो मान,
थे भोग लगाने…
Bhajan Request – Kriti Singhania
Bhagalpur