ऐ जी श्याम थारी नगरी में दिवाना आ गया,
ऐ जी श्यामजी ओऽऽऽ जी म्हारा श्याम ।
तर्जः उमराव….
थारी धुन मे बावरा, खाटू पहुच्या आय
इब तो मिललै साँवरा, मत ना देर लगाय ॥१॥
जब सुँ थास्युँ लौ लगी, दुनियाँ भूल्या श्याम,
थे ही रहग्या याद बस, भूल्या सारा काम ॥२॥
बारह महिना डीकतां, इब मिल्यो यो जोग,
थारा दर्शन हो गया, घणो मिल्यो संजोग ||३||
होली की रुत आ गई, बाजण लाग्या चंग,
भगतां हिलमिल खेल रह्या, होली श्याम के संग ।।४।।
रवि दिवानो श्याम को, झुमै नाचे आज,
सिर पै धरयो हाथ थे, म्हारी बचाल्यो लाज ।।