एहसान तेरा, एहसान तेरा,
मैं भूल ना जाऊँ, इतनी कृपा कर
ओ सांवलिये तूं, दिल में रहा कर ।।
तर्ज़ – महबूब मेरे, महबूब मेरे.
भटक रहा था दर-दर मैं, तूने थाम लिया,
सूने दिल के साजों को, अपना नाम दिया,
अब तो साँसों की सरगम पे,
बाबा गूंजे है नाम तेरा ।।
एहसास तेरा, एहसान तेरा …..
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तूने ही संवारी है, ये जीवन बगिया,
मांझी बनकर थामी है, डूबती नैया,
जाने कैसा है ये रिश्ता,
बाबा तेरा और मेरा ।।
एहसास तेरा, एहसान तेरा …..
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तेरे नाम की मस्ती में, सच हो हर सपना,
बाबा तुमको ना भूलूँ, छूटे ये रंग ना,
अपने चरणों में रहने दो,
‘अनिल’ का बसेरा ।।
एहसास तेरा, एहसान तेरा …..
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