घनश्याम तुम्हारी चितवन…Ghanshyam Tumhari Chitvan…
घनश्याम तुम्हारी चितवन मं,जादू है मेरे, जचगी मन मं ।। ________________ कद कठै कुणसै चक्कर मं फिरतो फिरै,मेरी अरदास पर गौर क्यूं ना करै,धीर मेरै नहीं, रहम तेरे नहीं,मेरा प्राण पड्या, जीवन धन मं ।।घनश्याम तुम्हारी चितवन …… ________________ याद तन्नै रिझाणै की रीति नहीं,एक बाजी भी तेरै सं जीती नहीं,काब्ण्जो डाट ले, दर्द नै …
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