तुम्हारी याद सताती है,
श्याम तुम्हारी याद में अखियाँ,भर भर आती है।।
तर्ज–बने है याचक कृपा निधान
तेरे दर्शन की अभिलाषा,
जल्द बुझाओ दिल की प्यासा,
पढ़ लो इन अखियन की भाषा,समझ में आती है।।(१)
निर्मोही से पड़ गया पाला,
ऐसा क्या जादू कर डाला,
श्याम हमारी विरह की ज्वाला,बढ़ती जाती है।।(२)
दया करो है शीश के दानी,
क्यों करते हो खींचातानी,
तेरे बिन अपनी जिन्दगानी,सूकी बाती है।।(३)
“बिन्नू” ने लिख दी ये चिट्ठी,
बातें कुछ कड़वी कुछ मिठी,
तेरे दर की धूल और मिट्टी,हमे सुहाती है।।(४)
तुम्हारी याद सताती है…