म्हारो श्याम बड़ो नटखटियो रे,
लम्पट और अभिमानी ई क मतना सटियो र।।
तर्ज-ढ़ोला ढोल मजीरा….
लखदातार है बाबो लेकिन
एक ऐब है खास,
जीं क मन म कपट भरयो यो,
ऊँ को कर दे नाश,
बीं को चल नहीं फटफटियो र।।(१)
मुँह म राम बगल में छुरी,
ऐसा भाव न रखियो,
सच्च मन स करो ध्यावना,
स्वाद प्रेम को चखियो,
भाया नाम श्याम को रटियो र।।(२)
जीं पर बाबो राजी होजा,
रख दे सिर पर हाथ,
श्याम दया बरसातो चालै,
कदम कदम पर साथ,
बीं को काम चल एकचटियो र।।(३)
नटखटिया स जी प्रेमी का,
भीडै प्रेम का टाँका,
सगळा फंद छुटै पल माहीं,
ऊँ का पीजा नाका,
“बिन्नू” भजन भाव मं ड़टियो र।।(४)
लम्पट और अभिमानी ई क मतना सटियो र