एक आश है तुम्हारी,विश्वास है तुम्हारा
आता हूँ तेरे दर पे,सूझे ना दूजा द्वारा ।।
तर्ज-मुझे इश्क है तुम्हीं से
हारे का साथ देते,डंका ये बज रहा है,
चौखट पे तेरी बाबा,तांता सा लग रहा है,
होती सुनाई सब की,आये जो गम का मारा।।(१)
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जब भी पड़ी जरूरत,तुम दौड़ कर के आये,
कारज सभी सँवारे,संकट मेरे भगाये,
संकट की हर घड़ी मैं,मैंने तुम्हें पुकारा।।(२)
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मन की व्यथाएँ सारी,तुम दूर कर रहे हो,
खुशियों से मेरा दामन,भरपूर भर रहे हो,
कभी मैं उदास होऊँ,तुमको नहीं गंवारा।।(३)
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तुझको मेरा नमन है,श्रद्धा बहुत है मन में,
है नाथ तेरा झण्डा, फहरा रहा गगन में,
“बिन्नू” का दिल ये कहता,है श्याम कितना प्यारा।।(४)
आता हूँ तेरे दर पे,सूझे ना दूजा द्वारा…..