शीश के दानी, हमने तुमको,
दिल से अपना मान लिया है,
जग है पराया, तूं ही अपना,
ये हमने पहचान लिया है ।।
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जिन्दगी देने वाले, तुम्हे कैसे भुलाऊँ,
नजर तेरी दया की, सदा तुमसे ही चाहूँ,
आस मेरी है, मेरी अर्ज़ी, ना ठुकराओ श्याम,
दीनों की अर्जी को सुनना,
प्रभु ने ये वरदान दिया है ।।
शीश के दानी हमने तुमको ……
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तुम्हीं लव में साथी, तुम्हीं सुखों के दाता,
जगत के हो नियन्ता, भाग्य के हो विधाता,
मेरे साथ, सदा तुम रहना, ये वर दे दो श्याम,
अपना लेना जानके अपना,
क्यों हमको हैरान किया है ।।
शीश के दानी हमने तुमको ……
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नहीं गुण-दोष मेरे, कभी तुम ध्यान लाना,
मैं जैसा हूँ तुम्हारा, नहीं मुझको भुलाना,
हमारे दिल में तुम बस जाओ, खाटूवाले श्याम,
‘श्यामसुन्दर’ की बात पे दूत,
दाता हरदम ध्यान दिया है ।।
शीश के दानी हमने तुमको ……