म्हारा श्याम रंगीला, पलका उघाड़ो फागण आ गयो ॥टेर॥
‘फागनियो रंगीलों महीनो, चंग सुरीला बाजे,
रेशमी दुपट्टो बांध्यां, भगता छम-छम नाचे॥१॥
रंग बिरंगी सुन्दर सुन्दर, श्याम ध्वजा बनवाई,
लाज राखिये खादूवाला, याही अर्ज लगाई ॥२॥
“श्याम सेवक ‘ यो हेलो मारे, भक्तो कान लगाल्यो,
भीड़ मोकली होसी अबकै, बेगा नाम लिखाल्यो॥३॥
मेला पाछै होली खेलां, केशर रंग उड़ावां,
“बनवारी” भगतां के सागे, श्याम कुण्ड म न्हावां जी॥४॥