मैं हारा मैं हारा
मुझे दे दो नाथ सहारा
हार गया हूं भटक भटक कर
कोई नहीं हमारा हमारा
तर्ज – रखवाला प्रतिपाला
मांग नहीं है तुमसे कुछ भी
बस चरणों में बिठा लो
रोते-रोते आया हूं दर पर
मुझ को जरा हंसा दो
अगर पोछ दोगे मेरे आंसू,
कुछ न घटेगा तुम्हारा तुम्हारा
माना मैं हूँ पतित अधर्मी
लाखो पाप किये हैं
लेकिन तूने जाने कितने
पापी माफ किए हैं
फिर क्यों मेरी बारी दाता
तू ने पल्ला झाड़ा ओ झाड़ा
अब तो मेरा हाथ पकड़लो
बात मेरी मत टालो
हाथ से बात निकल ना जाए
जल्दी श्याम संभालो
बाद में मुझको दोष ना देना
हंसेगा जग जब सारा ओ सारा
दीन हीन के हाल पर माधव
गर तू मौन रहेगा
सोच जरा हारे का सहारा
तुझको कौन कहेगा
कौन लगाएगा वरना इस
नाम से फिर जयकारा जयकारा