क्या मैं तुम्हें बताऊं,सबकुछ तो जानते हो
काफी यही है बाबा,अपना जो मानते हो
तर्ज : वो दिन कभी ना आए,बाबा तुझे भूला दुं
दर्द हाई इतना बाबा,कैसे तुम्हे बताऊ
बहते जो नीर मेरे,तुमको ही इनमें पाउं
खुशकिस्मती यही है,मुस्कान बांटते हो
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दुनिया की चलगतों से,धोखा मैं जब भी खाऊं
सुझे नहीं किनारा,तुमको ही तब मैं पाऊं
मुझे बस खुशी यही है,मेरे गम को काटते हो
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स्वार्थ है मेरा तुझसे,ये तुम भी जानते हो
पुतला हूं गलतियों का,फिर भी जो मानते हो
‘राजा’ कहे सदा प्रभु,तुम प्यार बांटते हो