करुणा मेरी सुनके पितरजी, जल्द पधारो जी |
भीर पड़ी थारे टाबरिया पे, आन उबारो जी ।
तर्ज: प्रेम भरी आवाज सँवारो…
चहूँ दिशा फैल्यो अंधियारो, कुछ न देवे दिखाई,
थक कर हार गयो मैं पितरजी, अब तो करियो सहाई,
था बिन अट्कया कारज सारा-२ आके सँवारोजी ।।१।।
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हर सुख और हर दु:ख में देवा, म्हें तो थाने ध्यांवा,
मावस न थारे धोक लगांवा, प्रेम सूँ थाने मनावां,
जाने-अनजाने हुई गलती नै-२ , मति विचारों जी ।।२।।
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थाने सौंप दियो है देवा, यो थारो परिवार,
रक्षा करनी थारो हाथ में, रखियो सार-सम्हार ,
थाँपर दारमदार है सारो-२ थारो ही सहारो जी ।।३|।
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थारी आस लगाया देवा थारी बाट कहें जोवां,
चिन्ता हरो, पीड़ा न, हुकम सुनाओ देवा,
रेनू पितरां की जय बोले जय जयकार लगावे जी ।।४|।