रणत भवन से आवो, ऋद्धि सिद्धि रा दातार,
संकटहारी हो रही थारी, जग में जय जयकार ।।
तर्ज: सावन का महीना…
मां जगदंबा अम्बा लाड लडायो,
पालणे झुलायो थानै, गोद में खिलायो,
शिव शंकर भोला को, थे पायो घणो दुलार ।।
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दूंद दुंदालो देवा सूंड सुंडालो,
काम पडन््या पर बने है रूखालो,
ठुमक-ठुमक कर नाचै, है पायल की झंकार ।।
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मोदक प्रिय थारो मंगल दाता,
प्रथम मनावे उसका भाग्य विधाता,
““मित्र मण्डल”? है थारो, थे देवां रा सरदार ।।