ऐसो दातार कठे देख्यो ना सुण्यो जी-२,
शरणे पड़यां को बाबो काम बणावे जी,
आने जो ध्यावे बोतो मौज उड़ावे जी,
ऐसो दातार कठे देख्यो ना सुण्यो जी ।। टेर ।।
(तर्ज : आओ जी आओ म्हारा हिवड़े रा पावणा…)
निज भगतां पर, भीड़ पड़े तो, झट से उबारे म्हारो, श्याम धणी,
दर आये की, आस पुरावे, दर पे जो लेके जावे, आस घणी,
ऐसो दातार… || १ ||
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आंधलियां ने, आँख्या देवे, पागंलिया ने देवे, टांगड़ली,
निर्धणिया, ने, दौलत देवे, बेटो पावे अठे, बाँझड़ली,
ऐसो दातार… || २ ||
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‘हर्ष” सुमिर ले, कान्हूड़े ने, घर भर देसी तेरो, नटवरियो,
द बिन वोल्यां ही निज भगतां की, पीड़ पिछाणे म्हारो, सांवरियो,
ऐसो दातार… || ३ ||