सूरत या सांवरिया थारी,नैणा तीर चलावे है
आवे जो भी बाबा, थारो ही हो जावे है
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दर दर ठोकर खाँता बाबा,मैं भी एक दिन आयो हो
भीड़ मोकली देख के बाबा,सिर म्हारो चकरायो हो
थाने देता नहीं देख्यो पर, झोलियाँ भर जावे है
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बिन थारी किरपा थारे दर पर, कोई नहीं आ पावे है
थारी शरण में आकर बाबा,कुछ न कुछ तो पावे है
थारे दर पर यो जग सारो , जय जैकार लगावे है
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खाटू नगरी गांव यो प्यारो,थारो धाम कुहावे है
श्याम कुंड के अमृत जल से,संकट भी घबरावे है
राजा बोले म्हारे सर पर, हरदम हाथ फिरावे है