श्याम बाबा तेरी उल्फत में मेरी,
क्या करूँ नींद उचट जाती है,
दिल-ए-नादान को दिलदार तेरी,
सांवले याद बहुत आती है ।।
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तेरे जज्बातों ने दिल लूट लिया,
इस दीवाने को दर्द खूब दिया,
यार से प्यार बहुत गहरा है,
हिचकियाँ श्याम को बुलाती हैं ।।
श्याम बाबा तेरी उल्फत में ……
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तूं तो मस्ती में मगन में रहता है,
कोई यादों की मार सहता है,
रोग तैनें ही तो लगाया है,
तेरी चित्तवन मुझे नचाती हैं ।।
श्याम बाबा तेरी उल्फत में ……
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प्ए र तूं ‘शिव’ का साथी है,
ये दूरियां सताती हैं,
तेरे दरबार का दीवाना हूँ,
यार की प्रीत गुदगुदाती हैं ।।
श्याम बाबा तेरी उल्फत में ……