ॐ जय श्री राणी सतीजी मैया, जय जगदम्ब सतीजी |
अपने भक्त जनन की, दूर करो विपती ||
ॐ जय ….
अवनि अनन्तर ज्योति अखण्डित, मण्डित चहूँ कुकुँभा |
दुर्जन दलन खड्ग सी विद्युत सम प्रतिभा ||
ॐ जय ….
मरकत मणि मन्दिर अति मंजुल, शोभा लखि न परे |
ललित ध्वजा चहुँ ओरे, कंचन कलश धरे ||
ॐ जय ….
घण्टा घनन घड़ावल बाजत, शंख मृदंग घुरे ।
किन्नर गायन करते, वेद ध्वनि उचरे ||
ॐ जय ….
सप्त मातृका करें आरती, सुरणण ध्यान धरें।
विविध प्रकार के व्यंजन, व श्रीफल भेंट करे ||
ॐ जय ….
संकट विकट विदारिणी, नाशनि हो क़ुमति।
सेवक जन हृदि पटले, मृूदुल करन सुमति ||
ॐ जय ….
अमल कमल दल लोचनि, मोचनि त्रय तापा।
दास आयो शरण आपकी, लाज राखो माता ||
ॐ जय ….
या मैयाजी की आरती, जो कोई नर गावे।
सदन सिद्धि नव निधि, मनवांछित फल पाव ||
ॐ जय ….