बाबा श्याम को म्है प्रेम सैं, निशान ल्याया रे ।
(तर्ज: धमाल…)
बालक बूढ़ा वीर गाबरू, सबके चाव घणेरो रे,
पहन बसंती चोला सेवक, बोल्या आया रे ।।
लहर-लहर लहराता आवै, ये निशान अलबेला जी,
खाटुवाका श्यामधणी की, मोटी माया जी ||
बाजे चंग-नगाड़ा मिलकै , गावै राग सुरंगी जी,
रंगरंगीला फैंटा केसर, तिलक लगाया जी | |
अपनी धुन मं मणन होयकर, भगतां घालै फेरी जी,
देख निशान धणी का सबका, मन हर्षाया जी ||
श्यामबहादुर खाटुवाको, श्याम बड़ो सैलाणी जी,
श्याम परिवार का टाबरिया,“शिव” हर जस गाया जी | |