म्हारे जद भी मुसीबत कोई आवण लागे…Mhare Jad Bhi Musibat Koi Aavan Lage…

म्हारे जद भी मुसीबत कोई आवण लागे-२,
म्हार सर के ऊपर मोरछड़ी लहरावण लगे ||

जब जब गाड़ी खाव झटका,
मोरछड़ी का लागे फटका,
अपण आप ही या गाड़ी म्हारी, भागण लागै || १ ||

हो गया दिवाना मैं तो, मोर छड़ी का,
गुण कोन्या भूलूँ मैं तो, श्याम धणी का,
भगतां खातर नया नया रस्ता, काडण लागै || २ ||

मोरछे़ी का देख्या र जादू,
भूल गया मन्तर, स्याणा साधु,
बैं भीझुक-झुक झाड़ा, लगवावण लागे || ३ ||

जी क घर म मोर की छड़ी है,
“बनवारी” किस्मत, भोत बड़ी है,
झाड़ो देवण ताई श्याम घर, आवण लागे || ४ ||

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