चंदन को छिड़काव केसर चंदन को छिड़काव-२
हो रहयो बाबा की नगरी में , केसर चंदन को छिड़काव |
(तर्ज : रसिया)
वाह रे वाह फागण अलबेला-२
श्याम धणी का भरता मेला-२
वायुमण्डल भया सुनहेला-२
चाकरियों हो श्याम चरण को, मन में मोटो चाव-२
हो रहयो बाबा की नगरी में, केसर चंदन को छिड़काव | |
मंदरिये में जमकर कूद्यो-२
रूह गुलाब को झरणों छूद्यो-२
प्रीत करी सोई जस लूदयो-२
बड़भागी ने हुयो अन्नुठो दाता को दरसाव-२
हो रहयो बाबा की नगरी मैं, केसर चंदन को छिड़काव ।।
महकन लाग्यो देश ढुंढ़ारो-२
खोल दियो बाबो भण्डारो-२
सुफल हो गयो मिनख जमारो-२
बनै यो दिल से सिण्गार्यो, जैंसे भयो लगाव-२
हो रहयो बाबा की नगरी मैं, केसर चंदल को छिड़काव ||
श्याम बहादुर शिव फरियादी-२
श्याम नाम की नींव लगा दी-२
मन मंदिर मैं ज्योत जगा दी-२
एक झलक अपनी दर्शादी, मिलया हृदय का भाव-२
हो रहयो बाबा की नगरी मैं, केसर चंदल को छिड़काव ||