म्हारा प्यारा रे गजानन्द आइज्यो
रिद्ध-सिद्ध न सागै लाइज्यो जी ।
थाने सबसे पहल्याँ मनावाँ
लडुवन को भोग लगावाँ
थे मुसे चढ़कर आइज्यो जी |
माँ पार्वती का प्यारा,
शिवशंकर लाल दुलारा
थे बाँध पागड़ी आइज्यो जी ।
थे रिद्ध-सिद्ध का दातारी
थाने ध्यावे दुनिया सारी
म्हारा अटक्या काज बणाइज्यो जी ।
‘श्याम लिओ परिवार’ गुण गावे
थारे चरणां म शीश नवावे
म्हारी नैया पार लगाइज्यो जी ।
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