लुटा दिया भण्डार खाटू वाले ने |
कर दिया मालामाल खाटू वाले ने || टेर ||
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जैसी जो भावना लाया, वैसा ही वो फल पाया |
नहीं खाली उसे लौठाया, वो मन ही मन हरषाया |
अरे कर दिया उसको निहाल, खाटू वाले ने || १ ||
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जो लगन लगाया सच्ची है उसकी नाव ना अठकी |
नैया को पार लगाया, नहीं देर करी वो पल की |
अरे मिटा दिया जंजाल, खाटूवाले ने || २ ||
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जिसने श्रृंगार सजाया, वो बाबा का दर्शन पाया |
जिसने मांगा है बेटा, वो चाँद सा टुकड़ा पाया |
दिया है जन्म सुधार, खाटूवाले ने || ३ ||
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चरणों की किया जो सेवा, वो पाया मिश्री मेवा |
वो मन ही मन हर्षाया, नैनों में रूप समाया |
कर दिया सबको निहाल, खादू वाले ने || ४ ||