कैसा जादू साँवरिया, है तेरे प्यार में
दीवाने होकर नाचे, तेरे दरबार में |
(तर्ज: तुम झोली भरलो. ..)
तेरी भोली-भोली सूरत मन में प्रीत जगावे-२
आते ही दरबार में तेरे सब दुखड़े मिट जावे-२
भाता न फिर तो कोई, दूजा संसार में |
दीवाने… || १ ||
कजरारे ये नैन तुम्हारे, दिल पे तीर चलाये-२
जिस पर मुस्कान तुम्हारी, घायल ही कर जाये-२
सुध-बुध बिसरायी अपनी, तेरे दीदार में |
दीवाने…|| २ ||
अपने भगतों पर तू कान्हा, इतना प्यार लुटाये-२
भूल के सारी दुनियादारी, हम तेरे हो जायें-२
सोनू बंध जाते तेरे, प्रेम के तार में |
दीवाने… || ३ ||