ज्यूँ-ज्यूँ कार्तिक बीत्यो जावै…Jyu-jyu Kartik Bityo Jave…

ज्यूँ-ज्यूँ कार्तिक बीत्यो जावै,
त्यूं-त्यूं फागण नीडै आवै,
बाबा मन म्हारो हर्षावै,
जास्यां बाबा कै, जास्यां बाबा कै ।।
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बाबो खाटू मोहे बिराजै,
आं कै ढोल-नगाड़ा बाजै,
भगतां मगन होयकर नाचै,
जास्यां बाबा कै ।।
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सेवक दूर-दूर सैं आवै,
आकर श्याम का दरशन पावै,
बाबो बैठ्यो हुकुम सुणावै,
जास्यां बाबा कै ।।
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बाबा म्है भी करां तैयारी,
पूरो मन की आशा म्हारी,
दिखादे खाटू नगरी थारी,
जास्यां बाबा कै ।।
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बाबा म्है भी पैदल आस्यां,
केशरिया ध्वजा चढास्यां,
थारा ‘बनवारी’ गुण गास्यां,
जास्यां बाबा कै ।।

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