एकली खड़ी रे मीरा बाई एकली खड़ी |
ओ मोहन आओ तो सही, गिरिधर आओ तो सही |
माधव रे मन्दिर में मीराबाई, एकली खड़ी || ठेर ||
(तर्ज: प्राइ्विट…)
थे कहो तो साँवरा मैं, मोर मुकुट बन जाऊँ,
पहरन लागे साँवरो रे, मस्तक पर रम जाऊँ || १ ||
थे कहो तो साँवरा मैं, काजलियो बन जाऊं,
नैन लगावे साँवरो रे, नैणा में रम जाऊँ || २ ||
थे कहो तो साँवरा मैं, जल जमना बन जाऊं,
नहावन लागे साँवरो रे, अंग-२ रम जाऊँरे || ३ ||
थे कहो तो साँवरा मैं, पुष्प हार बन जाऊँ,
कण्ठ में पहरे साँवरो रे, हिवड़े पर रम जाऊँरे || ४ ||
थे कहो तो साँवरा मैं, पण पायल बन जाऊं,
पहरन लागे सांवरो जद चरणां मं रम जाऊँ || ५ ||