दादी का मंगल, रोज करोगे,
मौज करोगे, मौज. करोगे,
दादी जी ध्यान देगी, हाथों को थाम लेगी ।। टेर ।।
(तर्ज – बाबा की किरपा जिसपे….)
पाटे पे दादी की, फोटो लगाओ,
टीका लगाओ, पुष्प चढ़ाओ,
धूप-दीप से, वंदन करोगे।। १।।
सुबह करो चाहे, शाम को करना,
मौका मिले जब, गुणगान करना,
उत्तम घड़ी वो ही, जब भी करोगे।।२।।
नवमी तिथि हो, या मंगल वार हो,
मावस को मैया का, ये मंगलाचार हो,
शुद्धिसफाई का, ध्यान धरोगे।।३।।
पाठ के बीच में, आसन ना छोड़ो,
दादी के चरणों से, नाता तुम जोड़ो,
हर्ष, कहे मन से, मंगल करोगे।। ४।।