गजानन्द किरपा करियो जी -२,
बेगा आओ विघ्न मिटाओ,
बाधा हरियो जी ।। टेर ।।
(तर्ज : कन्हैया ले चल परली पार…)
पहलो न्यूतो थे स्वीकारो,
आंगणिये में आन पधारो,
म्हारा अटक्या काज संवारो,
रिद्धि-सिद्धि संग ऊँचे आसण -२
आकर चढ़ियो जी || १ ||
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मूसे चढ़कर बेगा आओ,
लाभ शुभ ने सागे ल््याओ,
आके किर्तन सफल बणाओ,
पावन चरण कमल थे म्हारे -२,
घर में धरियो जी || २ ||
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थारे सागे लक्षमी आवे,
अन्न-धन्न सुं कोठा भर जावे,
“हर्ष भगत थारी किरपा चावे,
सुख सम्पत्ति सुं भण्डारा थे – २,
म्हारा भरियो जी || ३ ||