आज लगावां बजरंगी को “जयकारो एक जोर सं”-2
भक्ति को वरदान म्हें माँगा, भक्ता क सिरमोर सं ॥ टेर ॥
(तर्ज: जनम जनम का साथ है)
माँ अञ्जनी को लाड़लो, पवनपुत्र हनुमान
रोम रोम श्रीराम की, महिमा करै बखान
राम सिया को यो मतवालो, बँध्यो प्रेम की डोर स
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एक छलांग लगाय कर, लंका पहुँच्यो जाय
रावण के दरबार म, सिक्को दियो जमाय
निर्भय होकर बात करी यो, मात सिया क चोर स
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सेवा म भगवान की, किया अनूठा काज
हिवड़ मे सियाराम की, मूरत रही विराज
चीर कालजो यो दिखलायो, देख रह्या सब गौर से
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ई अतुलित बलधाम न, पूज रह्यो संसार ‘
बिन्नू’ डर किस बात को, हनुमत पहरेदार
पल-पल रक्षा कर आपणी, यो संकट घनघोर स