पलकें ही पलकें बिछायेगें,
जिस दिन श्याम प्यारे घर आयेगें,
हम तो हैं कान्हा के जन्मों से दिवाने रे,
मीठे-मीठे भजन सुनायेगें,
जिस दिन श्याम ।। टेर ।।
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घर कर कोना-कोना मैंने फुलों से सजाया,
बन्दनबार बन्धाई घी का दीपक जलाया,
प्रेमी जनों को बुलायेगें ।। 1 ।।
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गंगा जल की झारी से प्रभु चरण पखारूँ,
भोग लगाऊँ लाड़ लड़ाऊँ थारी आरती उतारूँ,
खुशबु ही खुशबु उड़ायेगें ।। 2 ।।
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अब तो लगन एक ही मोहन प्रेम सुधा बरसा दें,
जनम-जनम की मैली चादर अपने रंग रंगा दे,
जीवन को जीवन बनायेंगे ।। 3 ।।
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नटवर नागर नन््द का लाला, मुरली मधुर बजावें,
“नन्दू” प्रेमी नाच नाचकर गिरधर को रिझावे,
नेणों से नेणा मिलायेगें ।। 4 ।