ये सुन्दर सिणगार सुहाना लगता है,
भक्तों का तो दिल दिवाना लगता है,
ज्यादा मत देखो नजर लग जाएगी,
ये कीर्तन की रात दुबारा आयेगी I I टेर ।।
(तर्ज : दुल्हे का सेहरा)
हजारों बार देखा है, हजारों बार सजते हों,
मगर क्या बात है कान्हा, गजब के आज लगते हो,
ये सुन्दर चेहरा सुहाना लगता है ।।1 ।।
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अगर हम दूर से देखें, कन्हैया पास लगते हो,
अगर नजदीक से देखें हमें कुछ खास लगते हों,
ये तेरा अंदाज पुराना लगता है ।। 2 ।।
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नजारा देखकर मुझको, कोई सपना सा लगता है,
नया चेहरा तेरा कान्हा, मगर अपना सा लगता है,
बदलेगा जल्दी जमाना लगता है ।।3 ।।
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उछालो रंग “बनवारी” दिवाना आज कर डारो,
जरा मुस्काके देखो तुम, नजर के तीर मत मारो,
भक्तों के दिल पे निशाना लगता है ।।4 ।।