श्यामा मेला में ले चालू रे…Shyam Mela Mein Le Chalu Re…

श्यामा मेला में ले चालू रे…
तनै दिवादयूं रेवड़ी में बड़ा तुलाल्यू रे॥टेर॥

चालै छः तो चालै साँवरा मेलो उल्टयो जावै।
तूँ बैठो मन्दिर कै मांही, दुनियां माल उड़ावे॥
थारा भकतां ने बुलाले रै॥१॥

नया-नया छः ख्याल खीलूणां, कांच कडूल्या मोती ।
तने दिवादूँ अलगाजा, मैं लेल्युला पोथी॥
आपा गाता-गाता चाला रै॥२॥

सौ रूपया का खुल्ला कराले, दे दे मेला खरची।
रेबाड़ी की रेबड़ी रै, वाह जयपुर की या बरफी॥
आपा खाता-खाता चालां रै॥३॥

घणां सार को गेर मसालो, चाबाँ नागर-पान।
गुम जावलो सागै रीज्यो, कहबो म्हारा मान॥
तेने आंगली पकड़ा दूं रै॥४॥

श्याम बाग की सेर करांला, बैठ कै नीम्बू नीच।
चाँदी बरगी सड़क दिखादूँ, बाग बीजली सींच॥
उन्डे बाबाजी बैठ्या छः रै॥५॥


एक बात मैं सांची खूँ छूं, हृदय में धर लीज्यो॥
पाछे मन्दिर में आज्यायो रै॥६॥


“सोहन लाल’ का लाडला, तनै राखूं हृदय माहीं।
आज तो मन्दिर कै बाहर आजा रै सांचा ही॥
तनै तालां मैं जड़ देल्यां रै॥७॥

Leave a Comment

Your email address will not be published.