सारै भगतां को मनड़ो…Sare Bhagtan Ko Mando…

सारै भगतां को मनड़ो,
लुभाय रहयो रे
सती दादी को मेलो तो
आय गयो रे I।टेर।।

तर्ज : दो हंसो का जोड़ा

चौदस ने मईया,
को कीर्तन म्है गावाँ,
मावस नै मईया,

कै धोक म्है लगावाँ,
रुप मईया को मन मूँ,

समाय रहयो रे, दादी….
_______________

रोली और मोली,
और चावल म्है ल्याया,
चूड़ो और चूनड़ी,

और काजल म्है ल्याया,
रंग मेंहदी को म्हानै,

सुहाय रहयो रे, सती दादी…
_______________

ढप और ढोलक,
और खड़ताल बाजे,
नर-नारी झूमै,

और जण सारो नाचै,
रवि चरणां मूँ जुणगान,

गाय रहयो रे, सती दांदी….

Leave a Comment

Your email address will not be published.