सारै भगतां को मनड़ो,
लुभाय रहयो रे
सती दादी को मेलो तो
आय गयो रे I।टेर।।
तर्ज : दो हंसो का जोड़ा
चौदस ने मईया,
को कीर्तन म्है गावाँ,
मावस नै मईया,
कै धोक म्है लगावाँ,
रुप मईया को मन मूँ,
समाय रहयो रे, दादी….
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रोली और मोली,
और चावल म्है ल्याया,
चूड़ो और चूनड़ी,
और काजल म्है ल्याया,
रंग मेंहदी को म्हानै,
सुहाय रहयो रे, सती दादी…
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ढप और ढोलक,
और खड़ताल बाजे,
नर-नारी झूमै,
और जण सारो नाचै,
रवि चरणां मूँ जुणगान,
गाय रहयो रे, सती दांदी….