सारा जीवन करू चाकरी
बोलुं जय जयकार।
सांवरै घुमा दे अब तो
मोर की छडी़ एकबार।
तर्ज-बार बार मै तुझे पुकारू
मोर छडी़ का जादू
बडा़ निराला है।
अपने हाथ मे श्याम ने इसे
सम्हाला है।
मन भावन मतवाला है
मेरे बाबा का श्रृंगार। ।
सांवरै घुमा दे अब तो
मोर की छडी़ एकबार।
जिसके सिर पर मोर छड़ी
लहराती है।
उनकी किस्मत पल भर मे
खुल जाती है
सब भक़्तो को भाती है
इस मोरछडी़ की मार।
सांवरै घुमा दे अब तो
मोर की छडी़ एकबार।
धीरे धीरे सारी दुनिया
जान गई।
मोरछडी़ की शक़्ती को
पहचान गई।
इसिलिये तो दर पे तेरे
होवे भीड़ अपार।
सांवरै घुमा दे अब तो
मोर की छडी़ एकबार।
कष्ट सभी खाटु जाकर
कट जाते है।
तेरे दर से खुश होकर
सब आते है।
तेरे भरोसे लाखों लाखों
पलते है परिवार।
सांवरा घुमा दे अब तो
मोर की छडी़ एकबार।