रणत भवन से आवो, ऋद्धि सिद्धि रा दातार,
संकटहारी हो रहीथारी, जग में जय जयकार ।।
तर्ज : सावन का महीना
मां जगदंबा अम्बा लाड लडायो,
पालणे झुलायो थाने, गोद में खिलायो,
शिव शंकर भोला को, थे पायो घणो दुलार ।।
दूंद दुंदालो देवा सूंड सुंडालो,
काम पड्या पर बनै है रूखालो,
ठुमक-ठुमक कर नाचै, है पायल की झंकार ।।
मोदक प्रिय थारो मंगल दाता,
प्रथम मनावे उसका भाग्य विधाता,
“मित्र मण्डल” है थारो, थे देवां रा सरदार ||
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