राम जी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी ।
एक तरफ लक्ष्मण एक तरफ सीता, बीच में जणत के पालनहारी |
हो सिर पे मुकुठ सजे मुख पे उजाला,हाथ में धन्नुष गले में पुष्प माला
हम दास इनके ये सबके स्वामी,अनजान हम ये अन्तरयामी
शीश झुकाओ राम गुन गाओ,बोलो जय विष्णु के अवतारी
राम जी की…
धीरे चला रथ ओ रथ वाले, तोहे खबर क्या ओ भोले-भाले
इक बार देखो जी ना भरेगा, सौ बार देखो फिर जी करेगा
व्याकुल पड़े है कब से खड़े है, दरसन के प्यासे सब नर-नारी।
राम जी की…
चौदह बरस का बनवास पाया, माता-पिता का वचन निभाया
धोखे से हर ली रावण ने सीता, रावण को मारा लंका को जीत
तब-तब ये आये तब-तब ये आये,जब-जब दुनिया इनको पुकारी…
राम जी की…