पहले ध्याऊँ मैं तुझे,
पूरण कीज्यो काज,
कीर्तन में अब आन पधारो,
गणनायक महराज ।।
(तर्ज : देता हरदम साँवरे)
आज हमने चाव से,
कीर्तन कराया है,
देवों के सिरमौर को,
पहले मनाया है,
मूसक चढ़के आ जाओ,
देवो के सरताज ।।1।।
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आपके बिन काम कोई,
ना सफल होवे,
आपके आने से ही
मुश्किल का हल होवे,
आजा सूने हैं पड़े,
तुझ बिन सारे साज ।। 2 ।।
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हे गजानन दास की,
अरजी तू सुन लेना,
“हर्ष” तेरी बाठ जोवे,
आके सुध लेना,
भगतों की रख ले जरा,
अब तो आ के लाज ।। ३ ।।
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