ओ साँवरिया आँख्यां खोल…Oo Sanwariya Aankhya Khol…

ओ साँवरिया आँख्यां खोल,
तेरा सेवक अरज़ गुजारै ।।
तेरा सेवक अरज़ गुजारै,
यै कद सैं बाट निहारै,
ओ साँवरिया आंख्या खोल…
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थानै नित की श्याम रिझावां,
म्है नया-नया भजन सुणावां,
मोहन मुख सं इक बर बोल,
तेरा सेवक अरज़ गुजारै ।।
ओ साँवरिया आंख्या खोल…


तन्नै नेक दया नहीं आवै,
ढक मं देर लगावै,
आँसूड़ा अनमोल,
तेरा सेवक अरज़ गुजारै ।।
ओ साँवरिया आंख्या खोल…
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थारा लाड लडाकर हारया,
मतना दिन घालै प्यारा,
मिलकर करलै तूं रमझोल्,
तेरा सेवक अरज़ गुजारै ।।
ओ साँवरिया आंख्या खोल…
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है कठिन प्रेम को रस्तो,
चाहे महँगो हो चाहे सस्तो,
‘काशी’ लियो तराजू तोल,
तेरा सेवक अरज़ गुजारै ।।
ओ साँवरिया आंख्या खोल…

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