नैया है मझधार श्याम इसे पार लगा जाओ
ओ लीले असवार दयालु जल्दी आ जाओ।॥टेर॥
नैया मेरी डूब रही है केवट बैठा है चुपचाप
मेरी बर्बादी की लीला कैसे देख रहे हो आप
क्यूँ करते इन्कार, मुझे ये भेद बता जाओ ॥१॥
तूफानों से लड़ते लड़ते हार गया है दास तेरा
तुझ पर दारमदार प्रभु अब टूटे ना विश्वास मेरा
सम्भालो पतवार, भँवर से इसे बचा जाओ॥२॥
बीच भँवर में दूजा केवट, श्याम कहाँ से लाऊ मैं,
तुझ बिन रक्षा हो नहीं सकती कितना भी चिह्ाऊँ मैं,
तेरा ही आधार, प्रभु मोहे धीर बँधा जाओ ॥३॥
दीन दयालु नाम तुम्हारा नाम की लाज रखो सरकार
थोड़ी सी यदि कृपा करो तो हो जायेगा बेड़ा पार
‘बिन्नू’ है लाचार, प्यार अपना बरसा जाओ॥४॥