म्हाने पिहरियो सो लागै खाटू धाम
रहवादयो म्हानै पिहरियो ।। टेर।।
(तर्ज – थांसु विनती करां हां…)
महिने का दिन गिन गिन काटा
जद या ग्वारस आवै
बाबुल म्हारो बड़ों सयानो
झाला देर बुलावै
म्हारै सासरिये मा करनो पड़े काम||१||
रहवादयो म्हानै पिहरियो
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आईये को पिहरियों म्हारे
सासरियो भी पूजे
म्हारै ससुराल म
बाबुल को नाम ही गुजे
म्हारै बापूजी रो ऊँचो बड़ो नाम ||२||
रहवादयो म्हानै पिहरियो
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म्हारै चिन्ता क्यांकि म्हारै
पिहर का को जोर
गांव-गांव और शहर-शहर
बाबुल को नाम को शोर
शुभम-रुपन’ म्हाने आवै है आराम ||३||
रहवादयो म्हानै पिहरियो