मैया अरजी थे सुन लीज्यो,
म्हापे दया दृष्टि थे की ज्यो
मनवांछित वर थे दी जो
म्हारा दादी जी म्हारा मैया जी
म्हारा दादी जी |
(तर्ज: धरती धोरा री…)
सूरज लालकिरण छिटकावे ओ…..-२
पंछी राग प्रभाती गावे
थानै भोरां भोर जगावे
म्हारा मैया जी-२
अम्बर निर्मल जल बरसावे
गंगा जमुना चरण धुलावे
चौसठ योगिनी चँवर ढुलावे
म्हारा मैया जी-२
म्हारा दादी जी…
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फिर ये सात सुहागन आवे ओ……-२
थानै रक्ताम्बर पहरावे
नख-शिख तक सिणगार सजावे
म्हारा मैया जी-२
कलियाँ चुन-चुन कर के लावे
थारे ताँई हार बनावे
मन म घणी-घणी हरषावे
म्हारा मैया जी-२
म्हारा दादी जी
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थे हो म्हारे कुल की माई ओ…..-२
म्हापे कीज्यो महर सदा ही
थारी जग मं जोत सवाई
म्हारा मैयाजी-२
सिर पर हाथ दया को धरद्यो,
म्हारो जीवन सुखमय करद्यो
किरपा राधेश्याम पे करद्यो
म्हारा मैया जी-२
म्हारा दादी जी… मैया…