मैं हार गया हूं बाबा
हारे का साथ निभाओ
मैं बैठा बांह पसारे
एक बार तो हाथ बढ़ाओ
तर्ज – तुझे सूरज कहूं या चंदा
हारे का साथ निभाना
तेरा दस्तूर पुराना
मेरी उम्मीद भी तुम हो
प्रभु मुझको भूल न जाना
कांटो के इस जीवन में
एक बार तो फूल खिलाओ
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विपदा ने घेर लिया
जख्मों ने ढेर किया है
मैं आस लगाऊं किस से
सब ने मुंह फेर लिया है
है आस की डोर ये नाजुक
मुझे आकर धीर बंधाओ
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माना की आंखें नम है
होठों पर आया दम है
मैं हार गया हूं लेकिन
विश्वास मेरा कायम है
अब दूर करो दुख मेरा
खुशियों के दीप जलाओ
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खाली जो दर से जाऊं
क्या जग को मैं बतलाऊं
होगी बदनामी तेरी
जो हरकीज़ मैं ना चाहु
‘माधव’ अब हाथ में तेरे
तरसाओ या हर्षाओ
Bhajan – Gudiya Vibha Mishra