कोई बोल नहीं सकता…Koi Bol Nahi Sakta…

तर्ज : दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है

कोई बोल नहीं सकता, नहीं प्यार लुटाती है
ममता की मूरत तो, हर माँ कहलाती है
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मुझे लोरी सुनाकर के, जब भी तु सुलाती थी
हर पीड़ा को सहकर, फिर भी मुस्काती थी
बातें करती है मगर, नहीं दर्द बताती है
ममता की मूरत तो, हर मा कहलाती है
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हो जाउं मैं कितना बड़ा, कर्जा न चुका पाउं
मैं जीउं जब तक माँ, तुझको न भूला पाउं
रोने नहीं देती तु, तेरी याद रुलाती है
ममता की मूरत तो, हर मा कहलाती है
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मैं बदल भी जाउं तो, पखाह नहीं तुझको
ममता भरे आंसु से, सींचा तुने मुझको
भूखी रहकर भी जो, बच्चों को खिलाती है
ममता की मूरत तो, हर माँ कहलाती है
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मेरा रोम रोम महके, जब तु मुस्काती ह
सारी उपमा भी माँ, फीकी पड़ जाती है
राजा कहे लड़कर्‌ जो, मुझको समझाती है
ममता की मूरत तो,हर्‌ माँ कहलाती है

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