(तर्ज : कितनो बड़ो मेरे भाग्य है- सुपातर बिनती. ..)
कितनो बड़ो मेरो भाग्य है बाबा, थां सो देव मिल्यो,
म्हानै राजी राखोजी ओ बाबा श्यामजी ।
सगलां न राजी राखोजी बाबा श्याम जी ||टेर ||
दोहा : सांवरा मोटा धनी और जग में थारो नाम है
बड़ा-बड़ा थे कारज सार्या, छोटो-सो म्हारो काम है ।।
अर्जी करनो फर्ज म्हारो, जोर कुछ चालै नहीं ।
थारी मर्जी के बिना, एक पत्तो भी हालै नहीं ।।
नित उठ थारो, ध्यान धरा म्हें घणी करां मन्नुवार ,
पलक उचाड़ो जी, बाबा श्याम जी ।|१।।
दोहा : श्याम जी म्हारो इष्ट है, और श्याम जी म्हारो प्राण
श्याम जी जद रुठ गया फिर जीने को के काम ||
भूल म्हारी माफ करद्यो, हृदय स लेवो लगाय ।
ठोकरें खाली बहुत अब, आकर सही रस्तो बताय ।।
थार बिना कैंया जिवस्यां ओ बाबा, थे दिनयो बिसराय,
ओत्यूं थारी आवै जी, बाबा श्याम जी ।।२ ||
दोहा : थे ही म्हारी जिन्दगी हो, ओ थां पर दारमदार है |
थारो थोड़ो मुलकनो और म्हारो बेड़ो पार है ।।
मैं तो थानैं के कहूँ, थे ही जगत का नाथ हो ।
हर साल खाटू आऊं मैं, परिवार मेरे साथ हो ।।
म्हें तो थारा ही दास हाँ बाबा, सिर पर हाथ धरो,
योवर मांगा जी, बाबा श्याम जी | |३ | |