खाटू वाला श्याम धनी
तेरी हर पल याद सतावे रे
सारी सारी रातां जागूँ
नींद कोन्या आवे रे
तर्ज – दीनानाथ मेरी बात छानी
इतनो प्यार देकर क्यू
दिल से भुलायो रे
छोड़नो थो म्हणे गर
खाटू क्यू बुलायो रे
लीला तेरी बाबा म्हणे
समझ ना आवे रे
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जल बिन मछली तड़पे जाइये
बईया तड़पुं सांवरा
क्यों रूस्या हो मुख से बोलो
पूछे थारा टाबरां
बाबुल के होता सोता क्यों
जीव घबरावे रे
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या तो बुला ले खाटू म्हणे
या तो खुद आजा रे
श्याम कवत श्वेता के सिर
एक बार हाथ फिराजा रे
खुद की गलती याद कर
नैना नीर बहावे रे