झुंझुनू में लगाकर बैठी जो दरबार है….Jhunjanu Me Lgakr Baithi Jo Darbar Hai…

झुंझुनू में लगाकर बैठी जो दरबार है
वो झुँझन वाली मेरी पालनहार है
उनके ही इशारों चलता ये संसार है
पालनहार है खेवनहार है

तर्ज – कब तक चुप बैठे हैं

बन जाए बिगड़ी सबकी
ये बिगड़े काम बनाती
बच्चों को दादी अपने
है पलकों पर बिठाती
इनकी ममता के आगे
सब बेकार है
पालनहार है खेवनहार है

दुनिया में सतिया बहुत हैं
सिरमौर है मेरी दादी
है कलयुग की अवतारी
जिसे पूजे दुनिया सारी
भक्तों के भरती
ये तो भण्डार है
पालनहार है खेवनहार है

दुनिया ठुकराए जिसको
उसे दादी गले लगाती
जग में पहचान बने
इस लायक मैया बनाती
अशोक के सर पे भी
माँ तेरा हाथ है
पालनहार है खेवनहार है

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