कहना मत बाबा ये सबके सामने,
आता हूँ हरदम मैं तुझसे मांगने,
जो जान वो जाएंगे मेरी हंसी उड़ायेगे
तर्ज – चाहा है तुमको
धन और दोलत तो खेल है नसीब का,
लाज ही तो होता है गहना गरीब का,
जो लाज गवायेगे तो फिर कहाँ जायेगे
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अपने ये समझते की मैं ही घर चला रहा,
जानेगे अगर वो की माँग के मैं ला रहा,
वो ऊँगली उठायेगे मेरा मान घटायेगे
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मेरे रोज़ आने पर हो कोई सवाल तो,
कह देना मिलने बुलाया तूने लाल को,
सब चुप हो जायेगे हम खुश हो जायेगे,
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‘सोनू’ अकेला नहीं मैं इस जहान में,
मेरे जैसे लाखो ही आते तुम से माँगने,
जो माँगने आयेगे वो ये ही चाहेगे,
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