(तर्ज: धमाल…)
झाँकी आईजी, श्री रामचन्द्र की, मनड़े भाई जी,
झाँकी आईजी |
मनड़े भाई, मनड़े भाई मनड़े भाईजी,
झाँकी आईजी ।।
राम प्रभु कै चरणां माही, हन्नुमान जी बैठ्या है ।
सागै लक्ष्मण-भरत-शत्ुधन, सीता माईजी ।।
झाँकी आईजी ।।
एक साल माँ एक बार ही, ऐसो मोको आवै जी ।
सजधज कर कै निकल््या देखो, श्री रघुराई जी ।।
झाँकी आईजी ।।
नौ दिन की रामायण पाछै, आज सवारी निकली जी ।
टाबरिया कै सागै आया, लोग लुगाई जी ।।
झाँकी आईजी ।।
“सेवा संघ” की टोली देखो, मगन होयकर गावै जी ।
“रवि! नयन माँ आज प्रभ्नु की, छवि बसाई जी ।।
झाँकी आईजी ।।
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