जगदम्बे भवानी मैया… Jagdambe Bhawani Maiya…

जगदम्बे भवानी मैया
तेरा त्रिभुवन में छाया राज है,
सोहे वेष कसूमल नीको

तेरे रत्नों का सिर पे ताज है ।


जब-जब भीड़ पड़ी भक्तन पर
तब-तब आय सहाय करे,
अदम-उदारण तारण मैया

युग-युग रूप अनेक धरे,
सिद्ध करती तू भक्तों के काज है,
नाम तेरो गरीब निवाज है,
सोहे वेष…


जल पर थल और थल पर सृष्टि
अद्भुत तेरी माया है,
सुर नर मुनि जन ध्यान धरे नित

पार नहीं कोई पाया है,
थारै हाथो में सेवक की लाज है,
लियो शरणो तिहारो मैया आज है,
सोहे वेष…


ज़रा सामने तो आओ मैया
छूप छूप छलने में कया राज है,
यू छुप न सकोगी मेरी मैया

मेरी आत्मा की ये आवाज़ है,


मैं तुमको बुलाऊँ तुम नहीं आओ
ऐसा कभी न हो सकता,
बालक अपनी मैया से बिछुड कर,
सुख से कभी न सो सकता,
मेरी नैया पड़ी मझधार है,
अब तू ही तो खेवनहार है,
आजा रो-रो पुकारे मेरी आत्मा,
मेरी आत्मा की ये आवाज है ।
जगदम्बे भवानी…

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